सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने अपनी याचिका में संशोधन करने का फैसला किया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए अब 29 अक्तूबर की तारीख तय की है। याचिका में गीतांजलि अंगमो ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में रखने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने पाया कि जोधपुर जेल के जेलर ने जो हलफनामा दायर किया है, उसमें बताया गया है कि सोनम वांगचुक के बड़े भाई और वकील ने उनसे मुलाकात की है।
पत्नी की सोनम वांगचुक के साथ लिखित नोट साझा करने की मांग
गीतांजलि अंगमो की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वे अपनी याचिका में संशोधन करना चाहते हैं। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने मांग की कि सोनम वांगचुक को अपनी पत्नी के साथ कुछ लिखित पंक्तियों की अदला-बदली करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं है।
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लद्दाख हिंसा में हुई थी चार लोगों की मौत
इससे पहले 6 अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया था, लेकिन याचिका संबंधित कोई भी आदेश जारी नहीं किया था। वांगचुक को लद्दाख में हुई हिंसा के बाद 26 सितंबर को एनएसए कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर हिंसा हुई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी और 90 घायल हुए थे। एनएसए केंद्र और राज्यों को व्यक्तियों को भारत की सुरक्षा के खिलाफ काम करने के लिए हिरासत में लेने का अधिकार देता है। हिरासत की अधिकतम अवधि 12 महीने है, हालांकि इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है। वांगचुक फिलहाल राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं।